NEELAM GUPTA

Add To collaction

मेरी तकदीर

नित नयी नज़र बदल रही है।

जीवन की व्यावहारिकता में। 

क्यु फिर नारी जीवन ।

सुखद स्वपन की सौहार्द में नहीं बदलती है।


आज भी है किसी के पीछे वो।

अपना क़दम बढ़ाते हुए। 

क्यु तारिखों के साथ।

उसकी तकदीर नही बदलती है।


अपनी जिंदगी के फैसले। 

कब उसके होंगे। 

क्यु हर फ़ैसले में। 

किसी की रज़ामंदी जरूरी है। 


क्या सही है क्या ग़लत है। 

क्यों उसे समझाया जाता हर बार।

क्यु आज भी वह अपनी।

मर्जी से ऊचाईयां नही छु सकतीं। 


कोमल दिल है ।

कोई उसे फुसला लेंगा।

क्यु यही कहकर हमेशा।

उसके फैसले पर की जाती है सख्ती।  


समय निरन्तर बदल रहा है।

नारी जीवन भी कुछ सुधर रहा है।

क्यु फिर भी कभी-कभी। 

अपने को अकेले खड़ी चौंराहे पर है पाती ।

   4
1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

27-Aug-2021 06:35 AM

बहुत खूबसूरत

Reply